Rumored Buzz on Shiv chaisa
Rumored Buzz on Shiv chaisa
Blog Article
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लिङ्गाष्टकम्
This article demands more citations for verification. Please support make improvements to this post by introducing citations to responsible sources. Unsourced materials could be challenged and taken off.
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव Shiv chaisa तारक भारी ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।